धर्मग्रंथ एवं पुराणों के अनुसार नवरात्रि माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। इस दिन माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान रात व दिन देवी शक्ति की पूजा की जाती है। वैसे तो नवरात्रि वर्ष मैं चार बार आती है पौष ,चैत्र, आषाढ और अश्विन | परन्तु पौष और आषाढ गुप्त रूप से मनाई जाती है और आषाढ और अश्विन को धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्र के इन पावन दिनों में हर दिन माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है,जो जातक को ख़ुशी,शक्ति और ज्ञान प्रदान करती हैं। नवरात्रि का हर दिन देवी के विशिष्ठ रूप को समर्पित होता है और हर देवी स्वरुप की कृपा से अलग-अलग तरह के मनोरथ पूर्ण होते हैं|
ऐसा माना जाता है, की महिषासुर ने कठोर तपस्या की और देवता से अमर होने का वरदान प्राप्त कर लिया था। महिषासुर खुद को धरती का सबसे शक्तिशाली जीव समझने लगा। वह देवताओं पर आक्रमण करने लगा। उसके उपद्रव से देवतागण भयभीत हो गए, लेकिन अमर होने के कारण उन्हें परास्त करना देवताओं के लिए मुसीबत का सबब हो गया था। शक्ति की देवी मां दुर्गा की अराधना की गई। समस्त देवगण ने अपने-अपने शस्त्र मां दुर्गा को दिए जिस से वह राक्षस महिषा सुर का वध कर पातीं। सभी देवताओं के शस्त्र पाकर मां दुर्गा अलौकिक रूप से शक्तिशाली हो गईं। इसके बाद महिषासुर और मां दुर्गा के बीच 9 दिनों तक भीषण युद्ध हुआ। 10 वें दिन महिषासुर का वध कर दिया गया। महिषासुर का वध करने के कारण ही मां दुर्गा, महिषासुर मर्दिनी कहलाईं |
दूसरी मान्यता के अनुसार, राम जी जब रावण को मारने गए थे, तो राम जी ने 9 दिन तक माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा व व्रत किये। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की पूजा से देवी मां प्रसन्न हुई थीं और उसके बाद भगवान राम को वरदान दिया था। इस वरदान को पा कर राम जी आततायी रावण का वध कर पाए और माता सीता को लंका से वापस अयोध्या ले के आये भगवान राम द्वारा रावण वध की इस घटना के कारण ही दशहरा पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में माना जाता है और दुर्गा पूजा के अंतिम दिन रावण का पुतला दहन किया जाता है।
इस बार नवरात्र अश्विन मास की शुक्ल पक्ष तिथि से प्रारभ होगी जो, की 17 अक्टूबर से है| नवरात्रि मे पूजा स्थापन का समय प्रात 6 बजे से आरभ होकर 10 बजे तक है।
माँ दुर्गा का चित्र , लाल चुनरी, आम की पत्तियां, अक्षत , दुर्गा सप्तशी किताब, कलावा, गंगा जल, चन्दन, नारियल, कपूर, जो के बीज, मिटटी का बर्तन, सुपारी ,पान के पत्ते , लौंग।
प्रातः स्नान के बाद ऊपर दी गई साम्रगी एकत्र करे ,माँ दुर्गा के चित्र को चुनरी पहनाये, मिट्टी के बर्तन मे जो बोये और नौ दिन तक पानी का छिड़काव करे ,पूर्ण विधि को शुभ मुहूर्त मे कलश स्थापित करे , कलश मे गंगा जल डाले ,आम की पत्ती कलश के ऊपर लगाए, नारियल को लाल चुनरी से बांध कर कलश के ऊपर रखे, धूपबत्ती, अगरबत्ती व आरती प्रतिदिन करे,नौ दिनों तक दुर्गा जी से संबधित मंत्रो का जाप करे और सुख समृद्धि की कामना करे,अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओ का पूजन करे ,आखिरी दिन पूजा के बाद माँ दुर्गा की विधिवत विसर्जन करे।
प्रसिद्द ज्योतिषाचार्यो से परामर्श के लिए, डाउनलोड करे AstroSOLV App
आपका पहला परामर्श मुफ्त है
1,273 total views, 1 views today
Tags: navratri, navratri 2020
Copyright © 2017-20 TechBode Solutions Pvt. Ltd. All Rights Reserved
No Comments