पितृदोष क्या है – ज्योतिषशास्त्र मे पितृदोष सबसे बड़ा दोष माना जाता है ! इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन मे कई प्रकार के उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। जो व्यक्ति पितृदोष से ग्रस्त होता है उस व्यक्ति के जीवन में धन व मानसिक परेशानिया रहती है ! पितृदोष की वजह से व्यक्ति के जीवन में कई तरह की नयी – नयी बाधाएं उत्पन होती है, कई बार पितृदोष के कारण व्यक्ति के जीवन में कुछ कष्ट एव ऐसे आभाव उत्पन हो जाते है जिस वजह से व्यक्ति उसे सहन नहीं कर पाता है।
व्यक्ति इस बात के समाधान के लिए कभी वास्तुशास्त्री ,तांत्रिक के पास जाते है , फिर जो -जो प्रयास यह बताते है व्यक्ति हर वो प्रयास करता है। फिर भी उसे लाभ प्राप्त नहीं होता। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आइये जाने क्या होता है पितृदोष ? और इस समस्या से बचने के उपाय क्या है ?
हमारे पूर्वज जब हमें सूक्ष्म रूप में देखते है और यह महसूस करते है कि हमारे वंश के लोग हमें भूल गए है कोई श्रद्धा नहीं करते है, प्रेम भाव नहीं है, याद नहीं रखते है तो ऐसे में हमारे पूर्वज दुखी हो कर हमें श्राप देते है जिसे पितृदोष कहते है | पितृदोष एक अदृश्य बाधा है, पित्रो के रुष्ट होने के अनेक कारण होते है। पितृदोष होने से जीवन में परेशानी मानसिक अवसाद, व्यापर में नुकसान ,परिश्रम के अनुसार फल न मिलना , करियर में बाधा |
पितृदोष होने के कारण व्यक्ति को जीवन में कोई भी शुभ फल प्राप्त नहीं होता ! घर में युवक – युवती का विवाह न होना , मांगलिक कार्यो में हमेशा कोई न कोई समस्या उत्पन होना ,घर मे प्रेत बाधा होना , घर के सदस्यों का अस्वस्थ होना आदि प्रकार कि दिक्कतों का सामना करना पड़ता है | सूर्यकृत पितृदोष होने से जातक का अपने परिवार से या बड़ो से विचार मेल नहीं खाता, वहीं मंगलकृत पितृदोष होने से जातक के अपने परिवार या अपने से छोटे लोगो के विचारो से मेल नहीं खाता |
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